भाषते इति भाषा
नमस्कार पाठकवृंद! विचारों का आदान-प्रदान हमारे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है जिसका सबसे प्रसिद्ध माध्यम भाषा है। भाषा पद की परिभाषा है "भाषते इति भाषा" जिसका सीधा सा अर्थ है जो बोली जाती है वही भाषा है। भाषा-विज्ञान में भाषा के कई आयामों पर अंदरूनी चर्चा और संशोधन किया जाता रहा है। मात्र मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी संदेश भेजने के लिए भाषा का प्रयोग करते रहे हैं और यहीं से आवर्त होता है भाषा के स्तर का विचार। 1970 के दशक में हुए शोधों में कई ध्यान देने योग्य बिंदु सामने आए, और उन कई महत्वपूर्ण बिंदुओं में एक बिंदु यह है कि भिन्न-भिन्न पशुओं की संवाद करने की शैलीयों में, एक स्वरूप सभी में सामान था। सभी पशुओं की भाषा में "एक वाक्य का एक अर्थ" देखने को मिला जिसके कारण उनमें नवीनता और रचनात्मकता की कोई संभावना नहीं थी। इससे भाषा के एक स्तर का निर्णय हुआ जहां एक वाक्य का एक अर्थ है, इससे इतर श्रेणी की भाषा वह है जिसमें प्रत्येक पद का एक अर्थ होता है, जिसके अंतर्गत बोलचाल की लगभग सभी भाषाएँ आ जाती हैं। परंतु एक भाषा ऐसी भी है जो इससे भी सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है...